Thursday, September 25, 2025

Indian Classical Music.

Indian classical music भारत की प्राचीन और समृद्ध संगीत परंपरा है। यह सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि साधना (spiritual practice) और जीवन दर्शन से भी जुड़ा हुआ है। इसकी जड़ें वेदों के सामवेद तक जाती हैं। मुख्य रूप से भारतीय शास्त्रीय संगीत दो बड़े भागों में बँटा है:

1. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत – यह परंपरा उत्तर भारत में विकसित हुई। इसमें ख़्याल, ध्रुपद, ठुमरी, टप्पा, तराना आदि शैलियाँ आती हैं।

2. कर्नाटिक शास्त्रीय संगीत – यह दक्षिण भारत की परंपरा है। इसमें कृति, varnams, आलापन, तिल्लाना आदि विशेष रूप से गाए जाते हैं।

इस संगीत की कुछ विशेषताएँ हैं:

राग: यह सुरों का एक विशेष ढांचा है, जिससे भावनाएँ और वातावरण उत्पन्न होते हैं (जैसे राग भैरव सुबह के लिए, राग यमन संध्या के लिए)।

ताल: यह लय या रिद्म है, जो निश्चित मात्रा और चक्र में चलता है (जैसे तीनताल, झपताल, आदि)।

तुरंत रचना (improvisation): गायक या वादक कलाकार राग और ताल के दायरे में रहते हुए तुरंत संगीत रचता है।

आध्यात्मिकता: इसका उद्देश्य केवल कानों को आनंद देना नहीं, बल्कि मन और आत्मा को भी शांति और उन्नति प्रदान करना है।

 सरल शब्दों में, भारतीय शास्त्रीय संगीत वह कला है जिसमें सुर (notes), राग (melody), ताल (rhythm), और भाव (expression) के मेल से आत्मिक और गहन अनुभव प्राप्त होता है।





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