vedang`s music

Harmonious, melodic, tuneful vibrations of the age old divine sounds, which has contemplative stupendous effect on mind, body and surroundings in the nature. It is a meditation. Based on breathing exercise Pranayam(naad yoga) .Breathing which inhales and excels for longer gives more oxygen to the body.Alap is the soul of the Raga. It shows the caliber of the musician. His capacity of intellection, mind’s eye, how far he could think of the boundaries of the thought with creative combination of melodic notes set to the rhythem.It takes years of practice to get command on the scale to perform freely. Every days practice brings the different shades to the raga, fulfillment of intense happiness, ecstasy, exaltation, euphoria the total bliss.Experience of supreme sound the Naad Brahma. About me- Performing vocals for last many years around the globe. Taught music in USA for ten years including one of the prestigious universities(MUM) at Fairfield Iowa. Worked for the Radio in North America as producer and host(musicals). http://www.youtube.com/user/MsVedang

Friday, December 22, 2023

Dec. 2023 clips.

 संगीत रत्नाकर इस ग्रंथ के प्रथम छः अध्याय - स्वरगताध्याय, रागविवेकाध्याय, प्रकीर्णकाध्याय, प्रबन्धाध्याय, तालाध्याय तथा वाद्याध्याय संगीत और वाद्ययंत्रों के बारे में हैं। इसका अन्तिम (सातवाँ) अध्याय 'नर्तनाध्याय' है जो नृत्य के बारे में है।🌹🌹

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संगीत पारिजात - यह ग्रंथ 1650 में पंडित अहोबल जी द्वारा लिखा गया। यह ग्रंथ अपने समय का महान ग्रंथ माना जाता है। पं० अहोबल जी पहले संगीतकार थे जिन्होंने संगीत पारिजात में वीणा पर स्वर स्थान निश्चित करने के लिए एक नई पद्धति बनाई।🌹 🌹🌹🌹
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स्वर अध्याय :- इस अध्याय में हवा और आग के संयोग से नाद की उत्पत्ति और उसके दो भेदों के बारे में बताया है । 22 श्रुतियों को 5 प्रकारों में बांटा गया है। फिर स्वरों के रंगों और रसों के बारे में बताया है - संगीत पारिजात प्रथम अध्याय.🌹🌹🌹🌹
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ग्राम अध्याय - पं. अहोबल जी अपने ग्रंथ संगीत पारिजात में लिखते है "स्वरों का समूह ही ग्राम कहलाता है, तथा यह मूर्च्छना का आधार होता है। पं. अहोबल जी भी तीन ग्राम मानते हैं- (1) षड्ज ग्राम (2) मध्यम ग्राम, (3) गंधार ग्राम ।  तीनों ग्रामों में से षड्ज ग्राम को उत्तम मानते हैं। राग दो ग्रामों षड्ज और मध्यम पर ही आश्रित है।🌹 🌹 🌹
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श्रीमती मनाली बोस की विविध तेरह रागों मे सुंदर प्रस्तुति के कुछ अंश निचे दिये लिंक पर।🌹 🌹
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हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, उन्होंने मुझे सबसे पहले ‘रसराज’ कहा था. पंडित जी आप जसराज नहीं, आप तो रसराज हैं. यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सम्मान है, मैं मानता हूं - पं. जसराज जी. 🌹 🌹https://youtube.com/playlist?list=PL5BuxPnaCfQdNP7c1_miPOZfITcufjgnT&feature=shared

हिंदी की गजलों को स्थापित करने में दुष्यंत कुमार का योगदान सराहनीय है। दुष्यंत के अलावा शमशेर बहादुर सिंह, अदम गोंडवी, गोपाल दास नीरज, विश्वनाथ, शेरगंज गर्ग, त्रिलोचन सहित अन्य कवियों ने भी गजल विधा पर हिंदी में कार्य किया है।🌹🌹🌹
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भक्ति संप्रदाय की कुछ रचनाएँ प्रस्तुत है संगीत के विविध प्रकारों में ध्रुपद, खयाल, भजन के स्वरुपमें।🌹 🌹 🌹🌹 🌹
Collection of shorts.
https://youtube.com/playlist?list=PL5BuxPnaCfQeKRtyJi4hyvSsLDPVg2ktN&feature=shared

The father of Indian classical music is generally considered to be Bharata Muni, an ancient musician and scholar who composed the Natyashastra. The Natyashastra is a Sanskrit text on music, dance, and drama. 🌹🌹🌹
*(240 शार्ट क्लिप्स)*
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तालयोगी पं. सुरेश तळवलकर जी, देश के महान तबला वादकों में से एक हैं। एक कुशल कलाकार और एक गुरु के रूप में बहोत ही बड़ी शिष्य परंपरा के साथ उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की गौरवशाली परंपरा में बहोत बडा योगदान दिया है। 🌹 🌹 🌹 🌹
https://youtube.com/playlist?list=PL5BuxPnaCfQffeJZHtmxcWe4FoXe1yuft&feature=shared

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